‘रहिमन विपदा ही भली, जो थोरे दिन होए |

हित-अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय ||’

विख्यात कवि रहीमदास जी के इस दोहे में बहुत ही गूढ़ बात छिपी हुई है, जिसकी सार्थकता हम वर्ष 2020 में देख सकते हैं | इस साल हमने हमारे आसपास के लोगों और सबसे महत्वपूर्ण प्रकृति का महत्व जाना |  ‘पर्यावरण’, जिसके बिना हम अपने अस्तित्व की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं, की महत्ता जानते हुए हम सब यही चाहते हैं कि ये दुःख के बादल शीघ्रता से छट जाएँ और जन-जीवन पहली की तरह सामान्य हो जाए | वास्तव में यह समय गुज़र जाएगा लेकिन हाँ, ये हमें बहुत कुछ सिखा भी जाएगा | रिश्ते, सदभावना, व्यक्तित्व की सही पहचान, सच्चे और झूठे मित्रों की परख, बड़े-छोटे सभी प्रकार के सहायक और सबसे महत्वपूर्ण, हमारी पहचान | इस लॉकडाउन ने हमें अपने जीवन की सही परिभाषा सिखलाई | हम अपने आप को सही तरीके से समझ पाए और जान पाए कि हमारा वजूद समाज के बिना कुछ भी नहीं है |

इन कठिन पलों का सामना करते हुए, एक बात का आभास अवश्य हुआ कि हमें अपने बच्चों को व्यवहारिक शिक्षा देने के साथ ही साथ नैतिक मूल्यों के प्रति अधिक प्रोत्साहित करना चाहिए | विद्यार्थी साक्षर तो हो रहे हैं और उन्हें शिक्षित करने में भी भरसक प्रयास किए जा रहे हैं | लेकिन आवश्यकता है, उन्हें उचित सीख देने की, यथार्थता से परिचय करवाने की | और ये सब सभी के सहयोग से ही संभव होगा | सहयोग की प्रक्रिया में ज्ञान का बार-बार तथा सभी दिशाओं में आदान-प्रदान होता है। यह एक समान लक्ष्य की प्राप्ति की दिशा में उठाया गया बुद्धि विषयक कार्य है। अंततः हम सब का उद्देश्य तो एक ही है- भविष्य को सुशिक्षित और मानवीय गुणों से भरपूर पीढ़ी देना |

अपनी भावी पीढ़ी को उन्नत और समृद्ध बनाने के लिए शिक्षक और अभिभावक को मिलकर प्रयत्न करने की आवश्यकता है तभी हम इन नन्हें-नन्हें बीजों को जिनमें अंकुर तो प्रस्फुटित हो गया है लेकिन एक स्वस्थ पौधे से विकसित पेड़ बनने का सफर अभी शेष है | सच्चाई, ईमानदारी, प्रेम, दयालुता, मैत्री आदि गुणों से युक्त खाद्य और पानी के सिंचन से ही हमारा सुनहरा भविष्य रूपी वृक्ष पल्लवित हो सकता है | यदि आज हमने अपने बच्चों को इन मानवीय मूल्यों से परिचित नहीं करवाया तो हम कल्पतरु का निर्माण करने में असफल हो जाएँगें |

‘There is no elevator to success. You have to take the stairs’ अंग्रेजी का यह कथन बहुत ही सटीक है | सफलता रूपी मंजिल तक पहुँचने के लिए सरल और संक्षिप्त मार्ग उचित नहीं है अपितु हमें अपने रास्ते के लघु पायदानों को पार करना अनिवार्य है | एक विद्यार्थी के तौर पर सबसे अधिक आज आवश्यकता है, ईमानदारी और सच्चाई की | ‘ईमानदारी’ जीवन का सबसे बड़ा मानवीय गुण है , जो सज्जनता की निशानी है | इसे तीन रूपों में देख सकते हैं , समाज के प्रति, दूसरों के प्रति और सबसे अहम अपने प्रति | इंसान दूसरों के प्रति बेईमानी कर भी ले तो उसके उसे उतने दुष्परिणाम नहीं भुगतना पड़ेगा जितना कि स्वयं से की जाने वाली बेईमानी करने पर |  इसलिए आज छात्रों में इस मूल्य का विकास करना नितांत आवश्यक है |

सन 2020, 21 वी सदी का अदभुत वर्ष है | हम सब जानते हैं कि इस साल लोगों ने कितनी विषम परिस्थितियों का सामना किया है | ऐसे समय अपने बच्चों और विद्यार्थियों को पाठ्यक्रम से ज्यादा इन नैतिक मूल्यों से अवगत कराए तो हम कल के लिए ऐसे नागरिक तैयार कर सकते हैं जो जीवन की दुर्गम राहों को पार करते हुए सशक्त राष्ट्र बना सकें | छात्रों का मूल्यांकन उनके अंकों के साथ ही साथ उनकी सच्चाई और ईमानदारी पर भी करें | भले ही आज की पीढ़ी बुद्धिमत्ता और तकनीकी ज्ञान में पारंगत है क्योंकि उन्हें अपने पाठ्यक्रम के लिए ज़रूरी सभी जानकारी इंटरनेट रूपी खजाने से सरलता से मिल जा रही है और वे सब अपने-अपने विषय में दक्ष भी जो जाएँगें | लेकिन नैतिकमूल्यपरक शिक्षा देना तो हमारा ही कर्तव्य है | सही या गलत का आइना दिखाना हमारा ही उत्तरदायित्व है |

‘विद्याथी जीवन सबसे सुनहरा दौर होता है, क्योंकि इस दौर में न किसी बात की चिंता होती है, न मन में कटुता होती है |’ वास्तव में हर एक शिक्षार्थी उस कली के समान होता है जो अपने-अपने अंदाज़ से खिलती है | वह अपने आसपास के फूलों से प्रतिस्पर्धा नहीं करती | बस अपने ढंग से खिलती है | उसी प्रकार हर एक विद्यार्थी अपने आप में अदभुत है | हमें भी विद्यार्थियों को सिर्फ एक प्रतिभागी न बनाकर मानवीय गुणों से युक्त इंसान बनाने की दिशा में सोचना चाहिए |


Neha Singh Gour

Hindi Teacher, Secondary (CAIE)

The journey of teaching started with my kids, and now it is a vital part of my life. I have been with CHIREC for the past five years. I am not only a teacher; I am a learner too. Teaching requires implementing creative ideas and pushes us to dig deep to learn new things. I enjoy this part a lot. Mine is a lively occupation. Though earlier, I had never thought of becoming a teacher, now I enjoy my profession. I proudly say that “I am a Teacher.”